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कुंभराज ने बनाई है अपनी खास पहचान अमेरिका, इंग्लैंड और जर्मनी तक धनिया की महक

देश के बड़े मसाला ब्रांड कुंभराज के धनिया पर ही करते हैं भरोसा, सीधे किसानों से ही कर लेते हैं खरीदारी

गुना जिले के कस्बे कुंभराज के धनिया ने जिला, प्रदेश, देश समेत विदेश तक मेे कुंभराज की अलग पहचान बनाई है। यहां का धनिया मसाला बनाने वाली बड़ी कंपनी भी उपयोग में लाती हैं। अमेरिका लंदन और जर्मनी जैसे कई विदेशों में यहां से निर्यात होता है। इन देशों में हर वर्ष 200 करोड़ रुपए तक के धनिया की खपत हो रही है।स्कूटर, पैरट, ईगल, बादाम जैसे नामों से जाना जाता है धनिया कोदेश और विदेश के कई बड़े मसाला ब्रांड कुंभराज की धनिया को ही अहमियत देते हैं। एमडीएच और एवरेस्ट जैसे बड़े मसाले जैसे बड़े ब्रांड भी यहीं की धनिया का उपयोग करते हैं। इसके अलावा, विदेशों के ब्रांड भी यहीं से एक्सपोर्ट की हुई धनिया का इस्तेमाल करते हैं। पिछले वर्ष 3.72 लाख क्विंटल धनिया की आवक कुंभराज मंडी में हुई थी। इसकी एवरेज कीमत भी मानें, तो लगभग 230 करोड़ की धनिया यहां किसानों से खरीदी गई।

गहरे हरे रंग से पहचान

बाकी जिले के धनिया और यहां के धनिया में रंग और खुशबू का अंतर है। कुंभराज इलाके के किसान जवाहर मीना के अनुसार इसे तैयार करने के लिए विशेष प्रक्रिया और ज्यादा मेहनत लगती है। इसे पूरी तरह पकने से पहले ही काट लिया जाता है। इसके बाद छांव में सुखाया जाता है। बाकी जिले के किसान इसे धूप में सुखाते हैं। इससे उसका रंग और खुशबू कम हो जाती है। छांव में सुखाने से उसका रंग गहरा ही बना रहता है। खुशबू भी काफी अच्छी आती है। कुंभराज को धनिया की खेती को देखते हुए स्पाइसेस पार्क के रूप में विकसित करने के लिए कलेक्टर फ्रेंक नोबल ए ने एक प्रस्ताव राज्य शासन को भेजा है। जिसके पीछे उद्देश्य धनिया के व्यापार में चार चांद लगाना है।

स्पाइसेस पार्क के रूप में विकसित करने के लिए प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा है, मिलेगी विशेष पहचान

1.20 हेक्टेयर में बोया जाता है धनिया

ऑर्गेनिक फसल की उपज बढ़ेगी चार गुना तक

छोटे किसान ज्यादा अच्छे से करते हैं उत्पादन

बड़े किसानों की अपेक्षा छोटे किसान धनिया का उत्पादन ज्यादा अच्छे तरीके से करते हैं। मात्रा कम होने की वजह से वे इसकी देखभाल, ट्रैसिंग, सुखाई करना सब आराम से कर लेते हैं। एक बैलगाड़ी में चंद क्विंटल आने वाली धनिया को भी 15-20 हजार रुपए प्रति क्विंटल का भाव मिल जाता है। इस इलाके में धनिया की 4-5 वैरायटी होती हैं। इसमें बादामी, पैरट, ईगल, स्कूटर आदि शामिल हैं।

दो तरह से होती है खरीदारी

यहां के व्यापारियों से चर्चा के अनुसार दो तरह से इसकी खरीदारी होती है। पहली तो लोकल व्यापारी खरीदकर दिल्ली और मुंबई के बड़े व्यापारियों को बेचते हैं। वे फिर उसे आगे एक्सपोर्ट करते हैं। दूसरा, कुछ मसाला कंपनियां सीधे लोकल व्यापारी से ही कॉन्ट्रैक्ट करती हैं। लाखों बोरी धनिया का कॉन्ट्रैक्ट होता है। व्यापारी सीधे मसाला कंपनियों को भेजते हैं। बड़े मसाला ब्रांड भी कुंभराज की धनिया का इस्तेमाल करते हैं।

50,000

से ज्यादा किसान सीधे तौर पर धनिया की खेती से जुड़े

हम इसलिए आगे

दूसरे जिलों में धनिया की इतनी केयरिंग नहीं की जाती। धूप में सूखने को छोड़ देते हैं। जबकि यहां छंटाई वगैरह और देखरेख से धनिए की महक और हरापन बरकरार रहता है।

हमारे धनिया की कीमत तीन गुना ज्यादा

मुंबई, दिल्ली के व्यापारी कुंभराज से लोकल व्यापारियों के जरिए खरीद करते हैं। इसके बाद इसे विदेशों में भेजते हैं। इसकी खासियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसकी कीमत सामान्य धनिया से तीन गुना अधिक रहती है। प्रदेश के अन्य जिलों का धनिया 10 से 12 हजार रुपए क्विंटल बिकता है। कुंभराज के धनिया को 35 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक भाव मिलते हैं। हालांकि, यहां भी पूरे गुना जिले में धनिया बड़ी मात्रा में उगाया जाता है, लेकिन कुंभराज इलाके का धनिया प्रसिद्ध है।

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